वैज्ञानिक सत्य पर आधारित भारतीय सम्वत व काल गणना: आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक

आज से होगा विक्रम संवत 2079 का श्रीगणेश

इंदौर. भारतीय सम्वत व काल गणना वैज्ञानिक सत्य पर आधारित है. शनिवार से विक्रम संवत 2079 का श्री गणेश होगा. राजा शनि व मंत्री गुरु होंगे. नया वर्ष देशवासियों के लिए मिलाजुला रहेगा. अपने-अपने घरों में आज ध्वजा अवश्य लगाएं व नीम की कच्ची कोपलों का सेवन करें.

उक्त बात भारद्वाज ज्योतिष एवं आध्यात्मिक शोध संस्थान के शोध निदेशक आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने कही. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुड़ीपड़वा) को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की इसीलिए इसे वर्ष प्रतिपदा के नाम से जाना जाता है. इसका श्रीगणेश प्रातःकाल से माना जाता है. इस दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वही वर्ष का राजा कहलाता है. इस वर्ष 2 अप्रैल को शनिवार होने से वर्ष का राजा शनि अर्थात न्याय के देवता है.

आचार्य शर्मा ने बताया कि नवीन सम्वत्सर आरम्भ करने की विधि यह है कि जिस राजा या नरेश को अपना सम्वत आरम्भ करना हो उसे प्रजा को ऋण मुक्त करना होता है. इस शास्त्रीय विधि का अक्षरशः पालन उज्जयिनी के सम्राट विक्रमादित्य ने किया था. उन्ही के नाम से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ नववर्ष का नाम विक्रम प्रारम्भ हुआ.

भारतीय नववर्ष का मन्ति्रमण्डल इस प्रकार है- वर्ष का राजा शनि, मंत्री गुरु, सस्येश (ग्रीष्म कालीन फसलों के स्वामी ) शनि, धान्येश (खाद्य मंत्री) शुक्र, मेघेश (वर्षा के स्वामी)बुध, रसेश चन्द्रमा, नीरशेष (धातुओं के स्वामी शनि, फलेश (फलों के स्वामी)मंगल, धनेश (वित्तमंत्री) शनि व दुर्गेश (सेना पति -रक्षा मंत्री) बुध होंगे. इस प्रकार नएवर्ष के मंत्री मण्डल में चार महत्वपूर्ण पद शनि को प्राप्त हुए है अर्थात मंत्रिमंडल में शनि का आधिपत्य रहेगा. पूरे दशाधिकारियों में पांच पद शुभ व पांच पद अशुभ ग्रहों को प्राप्त हुए है अतः नववर्ष देशवासियों के लिए मिश्रित फलदायी रहेगा.

घरों पर लगाना चाहिए ध्वाज

आचार्य शर्मा वैदिक ने वर्ष प्रतिपदा से वासन्तिक नवरात्र का आरम्भ होता है. इस वर्ष देवी आराधना के पूरे नो दिन है. 2 अप्रैल को धटस्थापना होगी व 10 अप्रैल को रामनवमी के साथ समापन. नवरात्र में माँ घोड़े पर सवार हो आएगी व भैसे पर सवार हो जाएगी. संहिता गर्न्थो में घोड़े को युद्ध व भैसे को रोग, कष्ट व दुःख का प्रतीक बताया है. धर्म शास्त्रों की मान्यता है कि गुड़ीपड़वा(वर्षप्रतिपदा) को अपने अपने घरों में ध्वजा लगाना चाहिए. ध्वजा ऐश्वर्य व विजय का प्रतीक है. आज के दिन वर्ष के स्वामी अर्थात ब्रह्मा जी का पूजन भी करना चाहिए. प्रातः तैल लगाकर स्नान करने का भी महत्व बताया गया है. आज के निम की कच्ची कोपलों में हींग, जीरा नमक ,अजवाइन, कालीमिर्च के सेवन का भी महत्व बताया गया. आयुवेद की मान्यता है कि इसके सेवन से वर्ष भर निरोगता बनी रहती है।

देश के लिए मिलाजुला रहेगा

आचार्य शर्मा ने बताया कि कि भारतीय भूकेन्द्र पर 1 अप्रैल को 11.53 पर अमावस्या का अंत होकर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का आरम्भ मेष लग्न में में होगा. अतः ज्योतिषीय मान से नया नल नामक सम्वत्सर का आरम्भ मेष लग्न में हो रहा है. वर्ष का राजा शनि व गुरु मंत्री होंगे. नए विक्रम सम्वत्सर में 5 पद शुभ व 5 ही पद अशुभ ग्रहों को प्राप्त हुए है. अतः नया भारतीय सम्वत्सर देश के लिए मिलाजुला रहेगा. इस प्रकार हमारी काल गणना सांगोपांग वैज्ञानिक सत्य पर आधारित है.

आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि हमारा भारतीय विक्रम सम्वत्सर चैत्र मास व वसन्त ऋतु से प्रारम्भ होता है. वैदिक विज्ञान के अनुसार चैत्र का दूसरा नाम है मधु. इस माह में मधुरस उत्पन्न होता है जिससे वृक्ष, लता आदि पुष्पित व पल्लवित होते है. चैत्र मास वसन्त ऋतु में आता है. यह ऋतु फूल-पत्तों को नवश्रृंगार प्रदान करती है. अतः पेड़पौधे पुराने पत्तों का त्याग कर नए पत्ते धारण करते है. विक्रम के नए सभी माह आकाशीय नक्षत्रो के उदय अस्त से सम्बन्ध रखते है व तिथि  व दिन सूर्य चन्द्र की गति पर निर्भर है। नए वर्ष में पकङ्ग श्रवण करने की भी परम्परा रही है।राजा महाराजा इससे नव संवत्सर का भविष्य जानते थे।

आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि सृष्टि की रचना व संहार का कारक है काल है ये ही शुभ एवं अशुभ स्तिथियाँ पैदा करता है। काल पुरुष की आत्मा सूर्य,मन चन्द्रमा,सत्व मंगल,वाणी बुध,ज्ञान सुख गुरु ,व शनि दुःख है,,यही हमारा मंत्रिमंडल के विभाजन  का स्वरूप भी है।ज्योतिर्विज्ञान के अनुसार जो काल विभाग सभी ऋतुओं व प्राणियों का आधार है वही सम्वत्सर कहलाता है।सम्वत्सर से तात्पर्य समस्त छः ऋतुओं का एक पूर्ण चक्र ,,काल गड़ना में सम्वत्सर की ही प्रधानता है।हमारी कलगड़ना निर्दोष व वैज्ञानिक भी है।

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